काव्य की भक्ति धारा में ब्रज भाषा के एक उपासक कवि हुए हैं, संत मतिराम. उन्होंने अपने एक दोहे में बेहद ही सरल शिव आराधना का वर्णन किया है. वह लिखते हैं मो मन मेरी बुद्धि लै, करि हर कौं अनुकूल,लै त्रिलोक की साहिबी, दै धतूर कौ फूल॥ ‘हे मेरे मन, मेरी बुद्धि को लेकर...
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