Home Uncategorized पीओके भारत का हिस्सा, वहां का हिंदू भी हमारा, मुसलमान भी हमाराःअमितशाह

पीओके भारत का हिस्सा, वहां का हिंदू भी हमारा, मुसलमान भी हमाराःअमितशाह

पीओके भारत का हिस्सा, वहां का हिंदू भी हमारा, मुसलमान भी हमाराःअमितशाह

India Today Conclave 2024: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि पीओके भारत का हिस्सा है, इसमें हिंदू मुसलमान का सवाल पैदा ही नहीं होता. वहां जो मुसलमान हैं, वो भी हमारे हैं, वहां जो हिंदू हैं वो भी हमारे हैं. उन्होंने कहा कि मैं ये बात संसद में भी बोल चुका हूं. अमित शाह ने कहा कि बड़े फैसले एक या दो लोगों के लिए नहीं लिए जाते. जब कोई पॉलिसी बनती है तो वह बड़ी समस्या के समाधान के लिए बनती है. अगर कोई बलोच होगा और हमें अप्रोच करेगा तो उसके बारे में हम सोचेंगे. इस कारण जो करोड़ों शरणार्थी आए हैं, उनकी जिंदगी बलोच-बलोच बोलकर बर्बाद नहीं कर सकते.

‘रोहिंग्याओं पर चुप क्यों हैं केजरीवाल’

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने शरणार्थियों को लेकर कहा था कि जेबकतरी और चोरी के केस बढ़ जाएंगे, इस पर अमित शाह ने पलटवार करते हुए कहा कि केजरीवालजी कुछ बढ़े बिना बोलने के लिए माहिर हैं, उन्होंने कानून नहीं पढ़ा है. 31 दिसंबर 2014 तक जो शरणार्थी आए हैं, ये कानून उनके लिए है. साथ ही कहा कि शरणार्थियों को जेबकतरे कहना ठीक नहीं है. मैं केजरीवाल से कहूंगा कि कितने रोहिंग्या घुसपैठिए आए हैं, उन पर चुप क्यों हैं. घुसपैठिए और शरणार्थियों में बड़ा फर्क है. जो देश में गैरकानूनी तरीके से आता है वो घुसपैठिया है, इसे देश स्वीकार नहीं करेगा. जो शरण में आता है, धार्मिक प्रताड़ना, अपने धर्म की रक्षा के लिए आता है, इसे घुसपैठियों के साथ तुलना नहीं कर सकते.

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‘मैंने अफगानिस्तान से आए सिख भाइयों का दर्द देखा है’

अमित शाह ने कहा कि जब अफगानिस्तान में निजाम बदला तो सैकड़ों सिख भाई जिस तरह यहां आए. मैंने उनका दर्द देखा है. किसी को अपनी संपत्ति, अपना घर-गांव छोड़कर आना पसंद नहीं होता है. वो तभी आते हैं जब मजबूर हो जाते हैं. इनके लिए भी हम नहीं सोचेंगे और संवेदना नहीं रखेंगे, तो हम ऐसी राजनीति नहीं करते हैं. ये हमारे देश का वादा था जो पीएम मोदी ने पूरा किया है. इसमें कोई भी बदलाव नहीं है.

CAA-NRC में कोई समानता नहींः अमित शाह

अमित शाह ने CAA को लेकर कहा कि मैं साफ कर देना चाहता हूं कि इसमें एनआरसी का कोई जींस नहीं है. दोनों अलग-अलग हैं, इसमें नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है. नागरिकता देने का प्रावधान है. इस देश की माइनॉरिटी को विपक्ष भड़का रहा है. मैं मुस्लिम भाइयों-बहनों से करबद्ध विनती करता हूं कि इनकी मत मानिएगा. ये आपके साथ राजनीति कर रहे हैं. सीएए से किसी की भी नागरिकता नहीं जाएगी. जो शरणार्थी आए हैं, उन्हें नागरिकता मिलेगी. साथ ही कहा कि पहले कानून पढ़ें और इसे समझें. गृहमंत्री ने कहा कि मैंने कभी नहीं कहा कि एनआरसी आएगी. साथ ही कहा कि मैं बहुत सोच समझकर बोलने वाला व्यक्ति हूं. उन्होंने कहा कि एनआरसी को लेकर पूछे जा रहे सवाल का जवाब मैं चुनाव के बाद दूंगा.

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मैंने हमेशा कहा- सीएए आने वाला है, ये पत्थर की लकीर

चुनाव से पहले CAA क्यों? इस सवाल पर शाह ने कहा कि 2019 में कानून पारित हो गया है. पांच साल पहले कानून पारित हो गया था. अब सिर्फ नियम बनाए हैं. हमने 2019 के चुनाव में बीजेपी के घोषणापत्र में भी कहा था कि अगर हम बहुमत में आते हैं तो नागरिकता संशोधन कानून लेकर आएंगे. आते ही सरकार ने अगस्त 2019 में ये बिल पारित कर दिया. राज्यसभा में भी पारित हुआ. लोकसभा में पारित हुआ. कहां कन्फ्यूजन था? कन्फ्यूजन का सवाल ही नहीं था. उन्होंने कहा कि सबको मालूम था कि सीएए आने वाला है. और मैंने कभी नहीं कहा कि हम पीछे हटेंगे. मैंने हमेशा कहा कि ये पत्थर की लकीर है और ये होकर रहेगा.

अमित शाह ने बताया- 5 धर्म के लोगों को ही नागरिकता क्यों

5 धर्म के लोगों को ही नागरिकता क्यों, इस सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा कि विपक्ष इसका विरोध इसलिए कर रहा है क्योंकि इसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया. इसे लेकर जब सवाल किया गया तो शाह ने कहा आजादी के वक्त में पाकिस्तान में 23 प्रतिशत हिंदू थे. आज 2.7 प्रतिशत हैं. कहां गए भाई? धर्म परिवर्तन हो गया. बेशुमार अत्याचार हुए. महिलाओं के साथ अत्याचार हुए. बच्चियों को उठा लिया गया. बच्चियों के साथ निकाह पढ़ लिया गया. वो कहां जाएं? वो भारत की शरण में आए. बांग्लादेश में 23 प्रतिशत हिंदू थे, आज 10 प्रतिशत से कम बचे हैं. वो या तो भारत की शरण में आए, या उनका धर्म परिवर्तन हो गया.  उन्होंने आगे कहा कि 1990 में दो लाख से ज्यादा सिख और हिंदू अफगानिस्तान में थे, आज 378 हैं. और वो लोग अपना धर्म, अपना सामान, अपने परिवार की, महिलाओं की इज्जत बचाने के लिए भारत की शरण में आए हैं, और ये लोग कहते हैं कि हम उन्हें नागरिकता न दें. दरअसल, सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म के ऐसे शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी, जो 31 दिसंबर को या उससे पहले भारत आ चुके होंगे.

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