चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनावों में नामांकन वापसी में सिरसा की सीट पर बड़ा उलटफेर सामने आया है। बीजेपी के कैंडिडेट रोहताश जांगड़ा (Rohtash Jangra) ने चौंकाते हुए अपना पर्चा वापस खींच लिया है। बीजेपी कैंडिडेट के मुकाबले से हटते ही सिरसा में अब चुनावी मुकाबला मौजूदा विधायक गोपाल कांडा और कांग्रेस कैंडिडेट गोपाल सेतिया के बीच रह गया है। इसी के साथ हरियाणा में कांग्रेस और बीजेपी के कैंडिडेट की संख्या 89-89 रह गई है। कांग्रेस ने भिवानी की सीट सीपीआईएम के लिए छोड़ी है। बीजेपी कैंडिडेट के हटने से सिरसा ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की राजनीति गरमा गई है।
मुश्किल से जीते थे कांडा
हरियाण लोकहित पार्टी (HLP) के नेता गोपाल कांडा पिछली बार महज 602 वोटों से जीते थे। उन्हें निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे गोकुल सेतिया ने कांटे की टक्कर दी थी। इस बार गोकुल सेतिया कांग्रेस की टिकट पर लड़ रहे हैं। ऐसे में अगर बीजेपी और इनेलो के कैंडिडेट भी मैदान में रहते तो वोटों के बंटवारे की आशांका थी। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि बीजेपी ने एक तय रणनीति के तहत कांडा के खिलाफ प्रत्याशी को वापस लिया है क्योंकि उन्होंने बीते पांच सालों में बीजेपी सरकार को सपोर्ट किया था। इतना ही नहीं कांडा ही वह व्यक्ति थे जो अपने चार्टर्ड प्लेन में बैठकर विधायकों को लेकर बीजेपी के पास पहुंचे और 2019 में मनोहर लाल की अगुवाई में सरकार बनी थी।
इनेलो से दोस्ती, बीजेपी का समर्थन
2009 में सिरसा से पहली बार विधायक चुने गए गोपाल कांडा भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार में गृह राज्य मंत्री रह चुके हैं, लेकिन इसके बाद गीतिका शर्मा की आत्महत्या के मामले में कांडा की मुश्किलें बढ़ी थीं। कांडा की एयरलाइंस में एयर होस्टेस रही गीतिका ने 2012 में फांसी लगाकर जान दी थी। लंबे चले इस मामले में कांडा की गिरफ्तारी भी हुई थी। इसके बाद पिछले साल जुलाई 2023 में कांडा को राउस एवेन्यू कोर्ट ने बरी किया था। गोपाल कांडा की पार्टी हरियाणा लोकहित पार्टी के साथ इनेलो ने गठबंधन किया है। इनेलो का गठबंधन बसपा के साथ है। अब बीजेपी ने कैंडिडेट वापस ले लिया है। आंकड़ों में देखें तो कांडा की स्थिति मजबूत हो गई है। इस बड़े उलटफेट के बाद सिरसा में कड़े मुकाबले की उम्मीद बढ़ गई है।
2019 के चुनाव परिणाम में किसे कितने वोट?
क्र. सं. | पार्टी | उम्मीदवार | वोट |
1 | हरियााणा लोकहित पार्टी | गोपाल कांडा | 44,915 |
2 | निर्दलीय | गोकुल सेतिया | 44,313 |
3 | बीजेपी | प्रदीप रतूसरिया | 30,142 |
4 | कांग्रेस | होशियारी लाल | 10,111 |
5 | जेजेपी | राजेंदर गनेरीवाला | 4,732 |
6 | निर्दलीय | मनीराम | 1,547 |
7 | आप | वीरेंद्र कुमार | 868 |
8 | बीएसपी | सरदार फूल चंद | 787 |
गोपाल कांडा Vs गोकुल सेतिया
बीजेपी के मैदान से हटने के बाद अब सिरसा की सीट पर गोपाल कांडा का सीधा मुकाबला गोकुल सेतिया से हैं। ऐसे में जोरदार मुकाबल की उम्मीद की जा रही है। गोपाल कांडा जहां इस सीट से दो बार जीत हासिल कर चुके हैं तो वहीं गोकुल सेतिया भी पिछले चुनाव में जीत के करीब पहुंच चुके हैं। गोकुल सेतिया कांग्रेस से चार बार सिरसा के विधायक रहे लक्ष्मण दास अरोड़ा के नाती हैं। वह उनकी बेटी के बेटे हैं। गोपाल कांडा की जहां अपनी खुद की पार्टी हैं तो वहीं उनके भाई गोविंद कांडा बीजेपी में हैं। कांग्रेस ऐसे में कह सकती है कि अभय चौटाला की अगुवाई वाली बीजेपी, गोपाल कांड और बीजेपी मिले हुए हैं जो भी हो गोपाल कांडा ने डबल गेम से फिलहाल अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में सिरसा की जनता क्या जनादेश देती है?
पहले बयान फिर वापस लिया कैंडिडेट
सिरसा में सबकुछ अनायाय नहीं हुआ है। दो दिन पहले एक वीडियो सामने आया था। इसमें गोपाल कांडा यह कह रहे थे कि वह फिर से बीजेपी की सरकार बनवाएंगे। गोपाल कांड का यह बयान काफी वायरल हो गया था क्योंकि वह सिरसा में बीजेपी ने उनके खिलाफ कैंडिडेट उतारा हुआ था। 16 सितंबर को नाम वापसी के अंतिम दिन बीजेपी के कैंडिडेट रोहतास जांगड़ा ने नामांकन वापस ले लिया। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि अगर बीजेपी बहुमत से कुछ सीटों दूर रह जाती है तो निर्दलीय उसको फिर सहारा दे सकते हैं।
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